अयोध्या जमीन विवा’द मा’मले में सुनवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मा’मले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने लिखित दस्तावेजों को जमा करने के लिए सभी पक्षों को तीन दिनों का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुन’वाई पूरी करने के लिए आज शाम 5 बजे तक का समय लिया था, लेकिन यह एक घंटे पहले ही पूरी कर ली गई है। आज सु’नवाई की शुरुआत से ही तीखी द’लीलें दी गई। मौका दिए जाने पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से दलील देनी शुरू की गईं, तो अदालत का माहौल गर्म था। हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह की ओर से अदालत में किताब दी गई जिस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कड़ी आ’पत्ति जताई। उन्होंने विकास सिंह की ओर से दिए गए नक्शे को भी फा’ड़ दिया। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स’ख्त ऐतराज जताया।
– हिंदू महासभा के वकील ने वरुण सिन्हा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि 23 दिनों के भीतर इस केस में निर्णय आ जाएगा।
– सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के लिए आज शाम 5 बजे तक का समय लिया था, लेकिन यह एक घंटे पहले ही पूरी कर ली गई है।
– अयोध्या जमीन विवा’द मा’मले में सु’नवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के लिए आज शाम 5 बजे तक का समय लिया था, लेकिन यह एक घंटे पहले ही पूरी कर ली गई है।– अयोध्या मामले की सुनवाई की कवरेज के सिलसिले में न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएस) ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है- 1. कोर्ट की कार्यवाही पर किसी भी तरह की अटकलबाजी न की जाए। 2. सुनवाई के तथ्यों पर ही खबर की जाए। 3. किसी भी तरह की मस्जिद को गिराने की फुटेज का इस्तेमाल न की जाए। 4. कोर्ट की सुनवाई को लेकर किसी प्रकार के उत्सव को टेलीकास्ट न किया जाए। 5. मामले में किसी भी तरह की डिबेट में अतिवादी विचारों को न दिखाया जाए।
अयोध्या मामले की सुनवाई की कवरेज के सिलसिले में न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएस) ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है- 1. कोर्ट की कार्यवाही पर किसी भी तरह की अटकलबाजी न की जाए। 2. सुनवाई के तथ्यों पर ही खबर की जाए। 3. किसी भी तरह की मस्जिद को गिराने की फुटेज का इस्तेमाल न की जाए। 4. कोर्ट की सुनवाई को लेकर किसी प्रकार के उत्सव को टेलीकास्ट न किया जाए। 5. मामले में किसी भी तरह की डिबेट में अतिवादी विचारों को न दिखाया जाए।



