दीपों का पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या रविवार 27 अक्टूबर को मनायी जाएगी। धन और सौभाग्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह खास दिवस है। प्रदोष काल में स्थिर लग्न में मां महालक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी मानी जाती है। श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश,लाभ की देवी महालक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे। मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर तबका अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है। मां को प्रसन्न करने के लिए हर तरह के जतन किए जा रहे हैं। घरों की साफ-सफाई के साथ आसपास में भी सफाई हो रही है। घरों की खास सजावट की तैयारी है।

सौभाग्यसुंदरी योग में मनेगी दिवाली
ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के मुताबिक रविवार को दीपावली होने से रवि पुष्कर,रवि प्रदोष और सौभाग्यसुंदरी संयोग बन रहा है। इस योग में धान भरकर कलश पूजन से घर का भंडार हमेशा भरा रहता है। केशर मिश्रित जल छिड़काव से दरिद्रता का नाश होता है।

शुभ मुहुर्त में पूजन से मां लक्ष्मी की खास कृपा
ज्योतिषी ई.प्रशांत कुमार के मुताबिक धार्मिक मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती हैं। “ब्रह्मपुराण” के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है। अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं।


