ऐसे तो छठ को बिहार का त्यौहार माना जाता है, लेकिन अब इस कई प्रदेशों तक फैल गया है। छठ पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत को पूर्वांचल यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल की तराई में खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस बार छठ मंगलवार यानी 13 नवंबर को है।

क्या है त्यौहार की मान्यता
हमारे देश में सूर्य को भगवान मानकर उनकी उपासना करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है की सूर्य भगवान की नजर पृथ्वी के कण-कण में पड़ती है, उनकी नजरों से कोई भी बच नहीं सकता। वह धरती पर हो रहे प्रत्येक घटनाक्रम के एकमात्र साक्षी हैं। जो लोग सूर्य अराधना नहीं करते भगवान उनसे नाराज हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलने वाला यह त्यौहार सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। खासतौर पर निरोग काया एवं संतान प्राप्ति के लिए यह बहुत ही कारगर पूजन है। यदि इस पूजन को शुभ मुहूर्त पर किया जाए तो इसका फल आपको दोगुना मिलता है।

अघ्र्य देने की विधि
व्रत में अघ्र्य देने के लिए बांस के सूप में पूजन सामग्री पहले भर लें और उसे पीले कपड़े से ढ़क दें। उसके बाद ढलते सूर्य को तीन बार अघ्र्य दें। तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें लाल चंदन, कुमकुम और लाल रंग के फूल डालकर अघ्र्य दें। स्वयं की ऊंचाई के बराबर तांबे के पात्र को ले जाएं सूर्य मंत्रों का जाप करें।
