#BIHAR के पूर्व स्वा’स्थ्य मंत्री एम्स के आं’कड़े पेश करने पर हुए ट्रो’ल, देखिये यूज़र्स ने क्या-क्या कमें’ट किये-

PATNA (ARUN KUMAR) : देश में कोई गरी’ब या मध्यवर्गीय व्यक्ति और कई बार अरुण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे राजने’ता-मंत्री-विधायक भी बीमार पड़ते हैं तो इला’ज के लिए अक्सर उनकी पहली पसंद एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्वि’ज्ञान संस्थान ही होता है. पहले देश में एक ही एम्स दिल्ली में थी, लेकिन अब देश में छह और एम्स पूर्ण रूप से कार्यरत हैं, जिनका निर्माण पिछली सरकारों के समय हो गया था. जो एकाध बने भी हैं तो पूर्ण रूप से का’र्यान्वित नहीं हैं. एम्स अपनी क्वा’लिटी और स’स्ते इला’ज के लिए जाने जाते हैं. प्राइवेट अस्प’तालों का इला’ज ज्यादातर लोगों की पहुं’च के बाहर होने के कारण इनके मह’त्व को समझा जा सकता है. Delhi AIIMS to convert Trauma Centre into coronavirus hospital कोरो’ना वाय’रस की सेकेंड वे’व ने देश के सामने बड़ी मुश्कि’ल खड़ी कर दी है और दूसरी लह’र अपने चर’म पर पहुंच चुकी है। यहां रोजाना 2.5 लाख के करीब नए कोरो’ना मामले सामने आ रहे हैं। इसी वजह से मौ’तों का आं’कड़ा भी ब’ढ़ा है। अस्प’तालों में बेड और ऑक्सी’जन की क’मी पड़ने लगी है. स’र्दियों के दौरान जब वाय’रस नियं’त्रित दिख रहा था, तब भारत नि’श्चिंत हो गया था. मार्च 2021 के बाद संक्रमण बढ़ने पर देश के हर शहर में को’विड अस्प’ताल बनाने की बाते होने लगी. पिछले वर्ष कोरो’ना संक्र’मण के मामलों में तेजी और सर्दियों में उस के सु’स्त पड़ने के बाद पूरे एक साल सरकार ने स्वा’स्थ्य के क्षेत्र में कोई तै’यारी नहीं की और न कोई बड़ा काम ही किया बल्कि अपना पूरा ध्यान बंगाल चु’नावों में फत’ह हा’सिल करने के मद्देनजर रोड शो और रै’लियों पर कें’द्रित कर रखा था. PM Modi rally live updates Bengal polls 2021 Assam elections | India News –  India TV जबकि साल 2020 में लॉ’कडाउन के एक हफ्ते बाद सेंटर फॉर प्ला’निंग द्वारा गठि’त अफसरों के 11 सदस्यों वाले एक समूह ने ऑक्सी’जन की क’मी को लेकर सरकार को अल’र्ट भी किया था. यह एम्पावर्ड ग्रुप 6 (EG-6) था, जिसे प्राइवेट सेक्टर, एनजीओ और अंतररा’ष्ट्रीय संगठनों के साथ सह’योग करने के लिए बनाया गया था. इस कमेटी ने पहली बार सरकार को ठीक एक साल पहले 1 अप्रैल, 2020 को और दूसरी बार नवंबर 2020 में हुई बैठकों में ऑक्सी’जन की क’मी को लेकर चे’ताया था. श्मशान घाट बावजूद ऑक्सीजन के साथ ही जीवनर’क्षक द’वायें, रेमिडे’सिविर इंजे’क्शन की कि’ल्लत से लोग का’ल के गाल में समां रहे हैं कि श्म’शानों और कब्रि’स्तानों में भी जगह कम पड़ रही है. दूसरा सबसे बड़ा उदा’हरण है पिछले वर्षों के दौरान एम्स अस्प’ताल बनाने की घो’षणा यानी ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ का निर्माण. मोदी सरकार ने 2014 में चार नए एम्स, 2015 में 7 नए एम्स और 2017 में दो एम्स का ऐला’न किया था लेकिन 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले, मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी आखिल भारतीय चि’कित्सा संस्थान बनाने का ऐला’न किया पर यह सारे एम्स 15 लाख की तरह तरह ही जुम’ले सा’बित हुए.
इस बीच बिहार के पथ निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के पूर्व मंत्री रहे नंदकिशोर यादव ने फेसबुक और ट्विटर अकॉउंट से एक ट्वीट पोस्ट किया है, जिसके बाद वे ट्रोलर्स के नि’शाने पर आ गए हैं. उन्होंने एक स्ला’इड पो’स्ट करते हुए मोदी सरकार के 7 वर्षों के कार्यकाल में 15 एम्स, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के 5 वर्षों में 6 एम्स बनने वहीं मनमोहन सरकार के 10 वर्षों और जवाहरलाल नेहरू के 16 वर्षों के कार्यकाल में एक-एक एम्स बनने की बात लिखी है. स्व. इंदिरा गाँधी के 11 वर्षों और राजीव गाँधी के 5 वर्षों के कार्यकाल में एक भी एम्स नहीं बनने की बात स्ला’इड में लिखी है. यह स्लाइड पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि-ये आं’कड़े देखने के बाद भी क्या कांग्रेसी और विप’क्षी दल मोदी सरकार को ही ब’दनाम करेंगे….   फिर क्या था, देखते ही देखते फेसबुक पर उनके इस पोस्ट की भ’र्त्सना करते हुए ट्रो’लर्स ने उन्हें नि’शाना बनाते हुए ट्रो’ल करना शुरू कर दिया. पोस्ट डालने के महज 3 घंटों में ही डेढ़ हजार से अधिक कमें’ट किये गए हैं, और फेसबुक पर इस पोस्ट को उतनी ही बार शेयर भी किया गया है. कुछ क’मेंट हम प्रका’शित कर रहे हैं, पर कुछ कमेंट में अशो’भनीय भाषा का इस्ते’माल किया गया है, इसलिए हम उसे प्रका’शित नहीं कर सकते. कई यूज़र्स ने कमें’ट में लिखा की-“देश में मोदी जी द्वारा बनाये एक भी हॉस्पि’टल पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं, नेहरू वाले Aiims में क्यों भ’र्ती हो रहे, कभी अपने बनाए Aiims में भ’र्ती क्यों नही होते.” एक ने लिखा-एक भी नही बनाया है मोदी ने, कांग्रेस के बनाये गए में अपना नाम चि’पका रहे हैं. एक अन्य यूज़र ने लिखा-अच्छा वो Aiims बना था, जो लगभग हर राज्यों के राजधनी में करोडो-करोड़ रुपये खर्च कर आलीशान भवन बनाया गया है। जिसके ऊपर BJP प्रदेश कार्यालय का बोर्ड लगा हुआ है। अच्छा अच्छा वही AIIMS है, जिसमे कुर्ता-पायजामा वाले डॉ’क्टर भी दिखे थे और उस AIIMS के डॉक्टर ,जो मनुष्यों का इला’ज नही करते वो तो देश का इलाज…….है। Srikant Nirala-नंदकिशोर तल# चा# और चा#ना भी चाहिए शायद मंत्री बन जाओ। लेकिन एक बात याद रखना ऐसा प्रधान मंत्री भी देश ने नहीं देखा जब एक तरफ लोग महामारी से मर रहे थे और दूसरी तरफ कुर्सी के लिए रैली हो रहा था। अभी भी थोड़ा भी #र्म बचा है तो चुप रहो नहीं तो जू# पड़ेंगे। जॉर्नलिस्ट प्रफुल्ल झा नामक यूजर ने उन्हें कुंठि’त तक कह दिया, उन्होंने लिखा कि-नंद किशोर जी आप पीएमसीएच जाए, IGIMS जाये।। और इस समय इतना कु’ण्ठित हो गए, लोग म’र रहे है ओर आप लोग मोदी जी को चम’काने में लगे PR एजेंसी मजबूत कर डिपेंड कर रहे है उनको ओर इतना काम किये है फिर भी लोग म’र क्यों रहा है? इस मामले में इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ के विद्यार्थी गिरीश मालवीय का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 में एक साथ देश में 6 एम्स बने थे. देश में दिल्ली के अलावा छह अन्य स्थानों रायपुर, पटना, जोधपुर, भोपाल, ऋषिकेश और भुवनेश्वर में एम्स अस्पतालों को चालू किया गया, लेकिन उसके बाद मोदी सरकार ने जितने भी एम्स बनाने की घो’षणा की है उसमें से एक एम्स का कार्य भी पू’रा नही हुआ है. खास बात यह है कि इनमे से अधिकांश एम्स बनने की तारीख अप्रैल 2021 बताई गई थी लेकिन किसी भी जगह कोई कार्य पूर्ण नही हुआ है. कहीं पर जमीन का पता नहीं है तो कहीं बज’ट का आवं’टन ही नहीं किया गया. बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री स्वा’स्थ्य सुर’क्षा यो’जना (पीएमएसएसवाई) के तहत 1,264 करोड़ रुपये की ला’गत से हरियाणा के मनेठी में बनने वाले एम्स की जमीन तक फा’इनल नही है, झारखंड के देवघर में बनने वाले एम्स का अभी एक-चौथाई काम ही पूरा हुआ है. गुवाहाटी में बनने वाले एम्स का अभी तक महज एक तिहाई काम ही पूरा हो पाया है, पश्चिम बंगाल के कल्याणी में बनने वाले एम्स में भी दे’र हो रही है, आंध्रप्रदेश के मंगलागिरी में बनने वाले एम्स के लिए रेत ही उपलब्ध नहीं है जम्मू के सांबा में बनने वाले एम्स का भी महज सात फी’सदी काम पूरा हुआ है. गुजरात के राजकोट में बनने वाले एम्स की तो सिर्फ घो’षणा भर हुई है. मदुरई में बनने वाले एम्स और जम्मू कश्मीर के अवंतीपुर में बनने वाले एम्स अभी कागजो पर ही है बाकी जगहों पर भी यही हाल है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जो एम्स है उसकी घो’षणा 2007 में हुई थी, वहाँ भी यह हालत है कि 750 बेड की ओपी’डी अब तक ठीक से नही बन पाई है. रायबरेली एम्स की भी बुरी हालत है.  सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र होने की वजह से बताया जाता है की यहाँ सौ’तेला बर्ता’व किया जा रहा है और पूरी तरीके से शुरू होने में करीब 2 वर्ष का समय लगने की बात की जा रही है. 2020 जनवरी में कोरो’ना का’ल के ठीक पहले सरकार ने घो’षणा कर दी कि 2020 ख’त्म होते होते में देश को छह नए एम्स सुपरस्पेशलिटी अस्प’तालों का तो’हफा मिलने जा रहा है लेकिन एक भी अस्प’ताल ठीक से चा’लू नहीं हुआ है. ये सारे एम्स कहां से बनेंगे? आखिर मोदी सरकार ने अपने 6 यूनियन बजट में इनको कितने हजार करोड़ अलॉ’ट किये हैं? बहुत से लोग लिखते हैं कि जनता मा’स्क लगाने में लाप’रवाही कर रही है इसलिए वो दो’षी है लेकिन देश की जनता असलि’यत में इसलिए दो’षी है कि वह स’स्ती शिक्षा और स’स्ती चिकि’त्सा सुवि’धाओं के बारे अपने जनप्रति’निधियों से सवा’ल नही पू’छती.                             
 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading