
MUZAFFARPUR : कोरो’ना की दूसरी लह’र जा’नलेवा सा’बित हो रही है. प्रत्येक दिन कोरो’ना संक्र’मित मरी’जों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि बड़ी संख्या में लोग कोरो’ना से जं’ग जीत कर लौ’ट रहे हैं.

जिले के चंदवारा मोहल्ला निवासी अर्चना आमना भी उन्हीं में शामिल हैं. गंभीर रूप से संक्र’मित होने के बावजूद 21 दिनों तक वेंटी’लेटर-आईसीयू में जिं’दगी और मौ’त से जूझते हुए उन्होंने कोरो’ना को मा’त दी है. उनका कहना है कि शारीरिक व मानसिक मज’बूती के साथ रो’ग प्रतिरो’धक क्ष’मता मजबूत करना बहुत अहम है. साथ ही खान-पान का भी विशेष ध्यान रखें.

काँटी रोड के गॉड ग्लोबल अस्प’ताल में गंभी’र रूप से संक्र’मित एक मरी’ज स्वस्थ होकर घर लौटी हैं. कोरो’ना से जं’ग जी’तने के बाद उन्होंने बताया कि ऐसा लग रहा है मानो नई जिंदगी मिल गई हो. उन्होंने बताया कि ब’ढ़ते संक्र’मण की वजह से व्यवस्था चरम’राई जरूर है लेकिन ऐसे समय में स्वा’स्थ्य कर्मी जी जान से मरी’जों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं. अपनी जिं’दगी दां’व पर लगाकर संक्र’मितों की जा’न बचा रहे हैं.

उन्होंने अस्प’ताल के डॉक्टर अरशद अंजुम का दिल से धन्यवाद देते हुए कहा कि जिस तरह मुझे नई जिं’दगी मिली है वैसे ही अन्य मरी’जों को भी ईश्वर जल्द ही स्व’स्थ्य कर दें.
उन्होंने बताया कि पटना में 16 अप्रैल को मामूली गले में द’र्द और ख’राश को नजरअं’दाज करने के 5-6 दिनों में ही कम’जोरी के बाद कुछ द’वाइयां ली जिससे कोई असर नहीं हुआ. 24 अप्रैल तक स्थिति और ख़’राब हो गई और सांस लेने में तक’लीफ होने लगी.

24 अप्रैल को ही स्थानीय चिकि’त्सक से पराम’र्श के बाद एनएमसीएच में जाँ’च हुई, रैपिड एंटीजेन टे’स्ट में कोरो’ना नेगेटिव रि’जल्ट आया. आरटी-पीसीआर जाँ’च और एचआर सिटी चेस्ट जाँ’च भी हुआ. 25 अप्रैल को स्थिति अत्यधिक गंभी’र होने और पटना के किसी अस्प’ताल में बेड नहीं मिलने कि स्थिति में मुजफ्फरपुर आ गई.

बहुत मुश्किल से ऑक्सीजन सिलिंडर का प्रबंध होने के बाद 2 दिन लगातार ऑक्सीजन पर रही. 27 अप्रैल को आरटी-पीसीआर रि’पोर्ट भी नेगेटिव आया पर एचआर सिटी चेस्ट में संक्र’मण 23/25 था जो को-रैड फिफ्थ स्टेज में था.
लगातार बिग’ड़ती स्थिति और 56-58 ऑक्सीजन लेवेल रहते हुए परिजनों के अथक प्र’यासों के बाद 28 अप्रैल को गॉड ग्लोबल इमरजें’सी अस्प’ताल में भ’र्ती हुई. 24 घंटों के ऑब्ज’रवेशन के बाद डॉ’क्टर ने भी जवाब दे दिया था, पर अर्ध बेहो’शी जैसी हालत में मैं सिर्फ ईश्वर को याद करती रही और अपने हौ’सले को कम नहीं होने दिया.

उन्होंने बताया कि डॉ’क्टर के अथक प्रयासों और परिजनों के दिन रात से’वा-सुश्रुषा की बदौलत वेंटी’लेटर और ऑक्सीजन पर 21 दिन रहने के बाद आज मुझे एक नई जिंद’गी मिली हैं जिसके लिए मैं ईश्वर और डॉ’क्टर साहब के बेहतर इ’लाज और उनके dedication के लिए उनका धन्यवाद देती हूं की उनकी निग’रानी में आज स्व’स्थ्य होने के बाद हॉ’स्पिटल से डिस्चा’र्ज हो कर अपने घर जा रही हूँ.

वहीं डॉ. अरशद अंजुम ने बताया की जिस वक़्त ये अस्प’ताल में एड’मिट हुई उस वक़्त सभी अस्प’तालों में बेड की काफ़ी कि’ल्लत थी, किसी तरह बेड की व्यवस्था कर इ’लाज शुरु किया गया. बावजूद ऑक्सीजन लेवेल में ब’ढ़ोत्तरी नहीं हो रही थी. धीरे-धीरे सु’धार होना शुरू हुआ. आज ये पूर्णतः स्वा’स्थ्य होकर घर जा रही हैं जिससे सबसे ज्यादा ख़ुशी मुझे और पूरे अस्प’ताल प्रबंधन को है.

जिस तरह कोरो’ना संक्र’मित मरी’ज तेजी से रि’कवर कर रहे हैं उससे जाहिर है कि धीरे-धीरे हाला’त ठीक हो रहे हैं. अस्प’तालों में बेड कम है और मरी’जों का इलाज करने वाले स्वा’स्थ्य कर्मियों पर भी दबा’व है, ऐसे में जरूरी है कि मरी’ज खुद को अंदर से मज’बूत रखें और सं’यम बनाए रखें. ऐसे हाला’त में लोग अगर नहीं घब’राएंगे और सका’रात्मक सोच रखेंगे तो कोरो’ना से जं’ग जी’तना ज्यादा आ’सान हो जाएगा.








