महा झींगा मछली का हब बनेगा उत्तर बिहार

पूसा। उत्तर बिहार जल्द ही महा झींगा मछली का हब बनेगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के फिशरीज कॉलेज, ढोली को महा झींगा मछली बीज उत्पादन का केन्द्र बनाया गया है। यह बिहार समेत पूर्वी भारत का पहला सेंटर होगा, जहां झींगा मछली के बीज का व्यापक उत्पादन किया जाएगा। यहां वर्ष में 50 लाख महा झींगा मछली बीज उत्पादन होगा। इसका सीधा लाभ मछली उत्पादन को व्यवसायिक रूप देने वाले हजारो लोगों को मिल सकेगा।

प्रथम चरण में इसके प्रत्यक्षण के लिए उत्तर बिहार के चार जिलों का चयन किया गया है। जिसमें समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर के अलावा पूर्वी पश्चिम चंपारण शामिल है। सब कुछ ठीक रहा तो इसके सहयोग से राज्य के करीब दो सौ हेक्टेयर में महा झींगा मछली का उत्पादन होगा। जो करोड़ों के कारोबार के साथ हजारो लोगों को रोजगार देगा। सबसे अहम इसके सहयोग से राज्य झींगा मछली उसके बीज में आत्मनिर्भर बन जायेगा। वर्तमान में राज्य दोनों ही चीजों के लिए पश्चिम बंगाल पर निर्भर है। राष्ट्रीय मत्स्यकी विकास बोर्ड, हैदराबाद की इस परियोजना को शतप्रतिशत अमलीजामा पहनाने की जिम्मेवारी वैज्ञानिक डॉ. शिवेन्द्र कुमार को दी गई है। जो कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव के मार्गदर्शन डीन डॉ. एससी राय की देखरेख में योजना को जमीनी स्वरूप देने में जुटे हुए हैं।

सस्ते दर पर मिलेगाा झींगा मछली का बीज

वैज्ञानिक डॉ. शिवेन्द्र ने बताया कि ढोली स्थित केन्द्र में हेचरी का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। जल्द ही इसमें मछली बीज उत्पादन का कार्य शुरू हो जायेगा। स्थानीय स्तर पर महा झींगा मछली बीज का उत्पादन होने से सस्ते दर पर इसकी उपलब्घता होगी। जिससे उत्पादकों को बेहतर लाभ मिल सकेगा।

झींगा मछली के फेट में मिलता है ओमेगा 3

इस मछली में औषधीय गुण होने के साथ कांटा नहीं होता है। इसके फैट में ओमेगा 3 पाया जाता है। जो मस्तिष्क को सशक्त तेज बनाने के साथ ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है। जिससे इसकी मांग काफी है। स्थानीय स्तर पर फिलहाल यह 5 से 7 सौ रुपये प्रति किलो तक बिकता है। स्थानीय स्तर पर अधिक उत्पादन होने पर लोगों को इससे कम दाम में भी मिल सकता है।

क्या है तकनीकी पहलू

वैज्ञानिक ने बताया कि 18 डिग्री से कम तापमान होने पर मछलियों को समस्या बढ़ जाती है। जिसके लिए मिनी पॉली हाउस (बांसयुक्त) का उपयोग कर सामान्य तापमान में रखा जाता है। जिसे फरवरी के मध्य में पोखरो में डाल दिया जाता है। बाद में जून महीने के समय में यह बेचने योग्य हो जाता है। उस समय शादीविवाह के अवसरों के साथ ही स्थानीय बाजार में भी अच्छी कीमत मिल जाती है।

क्या है लाभ

वैज्ञानिक ने बताया कि रोहूकतला के साथ इसका उत्पादन बेहतर होता है। उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर में 25 हजार महा झींगा मछली का बीज डाला जाता है। जिससे ढाई से तीन लाख रुपये शुद्ध मुनाफा तक लिया जा सकता है।

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