लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अब अध्यक्ष पद पर बने नहीं रहना चाहते। उन्होंने चुनाव से पहले ही लालू प्रसाद से कहा था कि वे चुनाव के नतीजे आने तक ही इस पद पर रहना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश भी की, पर लालू प्रसाद ने कहा कि तेजस्वी और राष्ट्रीय जनता दल को अभी आपकी जरूरत है। जगदानंद कुछ समय के लिए मान गए, लेकिन अब उनकी इस पद पर रहना नहीं चाहते।
उधर,जगदानंद सिंह के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कौन होंगे, इसको लेकर भी मंथन शुरू हो गया है। पार्टी के अंदर पदाधिकारियों के बीच तो चर्चा कम भी हो रही है, कार्यकर्ता इस मसले को लेकर अधिक बातचीत कर रहे हैं। एक नज़र देखें कि किन नेताओं की चर्चा चल रही है?
श्याम रजकः दोनों राज में मंत्री रहे, युवाओं और वरिष्ठ के बीच सेतु की तरह
श्याम रजक लालू राज और नीतीश राज दोनों में मंत्री रह चुके हैं। इसलिए दोनों पार्टियों का सब कुछ जानते हैं। वह समाजवादी धारा के नेता हैं। राष्ट्रीय जनता दल में सभी के बीच स्वीकार्य नेता हैं। वे युवाओं और वरिष्ठ नेताओं के बीच लोकप्रिय हैं। अनर्गल नहीं बोलते। दलित वोट बैंक पर पकड़ बनाने के लिए भी पार्टी उनको अध्यक्ष बना सकती है। संगठन से लेकर सरकार और अफसरशाही तक का पूरा ज्ञान रखते हैं।
उदय नारायण चौधरीः नीतीश राज में विधानसभा अध्यक्ष
ये लालू प्रसाद के राज में मंत्री रहे और नीतीश कुमार के राज में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष पद पर पहले भी रह चुके हैं। इनकी भी खासियत है कि RJD और JDU दोनों पार्टियों का इन-आउट जानते हैं। दलित वोट बैंक पर पकड़ के लिए भी पार्टी इनको अध्यक्ष बना सकती है। बोलते दबंग की तरह हैं, लेकिन भाई वीरेन्द्र जैसी भाषा इनकी नहीं है।
शिवानंद तिवारीः तेज तर्रार नेता, लेकिन किसी ब्राह्मण को बनाना मुश्किल
ये शार्प नेता हैं। बोलते हैं तो डंके की चोट पर बोलते हैं। तार्किक बोलते हैं। मंत्री भी रह चुके हैं। संसद को भी जानते हैं, लेकिन जाति से ब्राह्मण होने की वजह से पार्टी इन्हें अध्यक्ष नहीं बना सकती। हालांकि, वे मंडल की सिफारिश के समर्थक नेता रहे हैं। समाजवादी धारा के बड़े नेता हैं। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की पीढ़ी के नेता हैं, लेकिन राजनीति में राजपूत-भूमिहार की फिलहाल जितनी धाक है उतनी ब्राह्मणों की अब नहीं रह गई। जैसी इनकी प्रकृति है वे संभवतः ये बनना भी नहीं चाहें।
आलोक मेहताः तेज प्रताप यादव को झेल नहीं पाएंगे
ये संसद सदस्य भी रहे और विधानसभा सदस्य भी रहे। लालू प्रसाद के राज में मंत्री भी रहे। अभी पार्टी के प्रधान महासचिव है। जाति से कोयरी हैं और इस जाति से अध्यक्ष पद के लिए स्वीकार्य भी हैं, लेकिन अगला प्रदेश अध्यक्ष ऐसा चाहिए जो तेज प्रताप यादव को भी झेल सके, या फिर तेज प्रताप उन्हें डिमॉरलाइज नहीं कर सके। इस मामले में आलोक मजबूत साबित होंगे, ऐसा नहीं लगता।
अशोक कुमार सिंहः आड़े आ सकता है स्वास्थ्य
इस बार इन्हें लवली आनंद की वजह से सहरसा से टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन पार्टी की वफादारी नहीं छोड़ी। लालू प्रसाद की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। ये भी जगदानंद सिंह की जाति राजपूत से ही आते हैं। संगठन चलाने का अनुभव रहा है। दो बार कोरोना से परेशानी झेलनी पड़ी। इसलिए स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी हैं।
तनवीर हसनः इनको बनाया तो MY का लेबल हटना मुश्किल हो जाएगा
इनकी खासियत यह रही है कि लंबे समय तक युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष रहे। तीन बार विधान पार्षद रहे हैं। लोकसभा का चुनाव भी लड़े, लेकिन तेजस्वी यादव ने पार्टी के स्थापना दिवस पर कहा कि उनकी पार्टी को लोग सिर्फ यादव और मुसलमानों की पार्टी साजिश के तहत कहते हैं। ऐसे में किसी मुसलमान को राजद का प्रदेश अध्यक्ष बनाना मुश्किल है।
पार्टी उसी महिला के नाम पर विचार कर सकती है जिसकी छवि साफ-सुधरी हो
पार्टी में अब तक वैसे प्रदेश अध्यक्ष ही रहे हैं, जो मंत्री रह चुके हों, विधायक रह चुके हों। वर्षों तक सत्ता में नहीं रहने की वजह से अध्यक्ष पद के लिए जगदानंद सिंह की तरह के नेता का अभाव है। रघुवंश बाबू रहे नहीं, जाबिर हुसैन अलग-थलग हैं। रामचंद्र पूर्वे जैसे नेता तो तेज के डर से स्थापना दिवस में आए भी नहीं।
बड़ी बात यह कि इस पद के लिए तेजस्वी यादव की पसंद का भी लालू प्रसाद को ख्याल रखना है, क्योंकि आगे पार्टी अब वही चला रहे हैं। रितु जायसवाल जैसी सोशल एक्टिविस्ट भी पार्टी में हैं, लेकिन वह चुनाव हार गई हैं। पिछड़ी जाति से आती हैं और महिला हैं। साफ- सुथरी छवि है। नीतीश कुमार के महिला और पिछड़ा-अतिपिछड़ा वोट बैंक को साइज में लाने के लिए पार्टी इन पर विचार कर सकती है। RJD है, नहीं भी कर सकती है।
कुर्मी, भूमिहार, ब्राह्मण, यादव या मुस्लिम को शायद ही पार्टी चुने
यह तय है कि प्रदेश अध्यक्ष के लिए राष्ट्रीय जनता दल शायद ही किसी कुर्मी, भूमिहार, ब्राह्मण, यादव या मुस्लिम को चुने। अभी चूंकि तेज प्रताप की वजह से अध्यक्ष पद पर विवाद हो गया है। इसलिए पार्टी तुरंत जगदानंद सिंह को मुक्त नहीं करेगी, नहीं तो मैसेज गलत जाएगा। नए अध्यक्ष को लाने में कुछ माह का समय जरूर लिया जाएगा।