रायगढ़. जिले में स्वास्थ्य विभाग ने सालभर में टीबी रोग को नियंत्रित करने के लिए 1.10 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। नई योजना के तहत पूरक पोषण आहार भी बांटे, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ। इस साल जिले में 1784 नए मरीज मिले, 30 लोगों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
जिन क्षेत्रों में प्रदूषण अधिक है वहां टीबी के मरीज अधिक हैं। मरीजों का इलाज टीबी एवं चेस्ट विभाग के विशेषज्ञ कर रहे हैं। इस मामले को लेकर टीबी नियंत्रण के नोडल अधिकारी व जिले के प्रभारी सीएमएचओ डॉ टीके टोंडर ने बताया कि इस साल टीबी पर नियंत्रण पाने के लिए 1.10 करोड़ रुपए खर्च किए गए, फिर भी टीबी के मरीज लगातार मिल रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी इस बीमारी के चलते 30 लोगों की मौत हो गई।
जिले में पल्मोनरी टीबी अधिक
टीबी एंड चेस्ट विशेषज्ञ डॉ गणेश पटेल के अनुसार इंसान के शरीर में बाल और नाखून को छोड़कर टीबी कहीं भी हो सकता है। स्थानीय स्तर पर अधिकांश मामले पल्मोनरी व एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के मामले सामने आते हैं। यह फेफड़े में पानी भरने से होता है, जबकि एक्सट्रा पल्मोनरी ह्रदय या फिर गले में गांठ बनने से होता है। वहीं रीढ़ की हड्डी में पॉट्स स्पाइन व स्कीन में ल्यूपस वल्गेरीज के नाम की टीबी पाई जाती है।
मरने वालों में अधिकतर युवा
टीबी के मरीजों को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने मेकाहारा में जांच की व्यवस्था की है। यहां के कर्मियों ने कहा कि टीबी पीड़ितों में अधिकतर फेफड़े की टीबी से पीड़ित लोग हैं, जबकि कुछ दिनों पहले आंत की टीबी के मरीज पाए जाते थे। फेफड़े की टीबी का समय पर उपचार नहीं कराने के कारण इस साल जिन लोगों की मौत हुई, उसमें युवाओं की संख्या अधिक है। मरने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है।
ऐसे हुआ खर्च
52 लाख पोषण आहार व डॉक्टर के लिए मानदेय।
4 लाख सिविल वर्क।
1 लाख दवा।
11 लाख मरीजों की मदद एवं परिवहन।
8 लाख हेल्थ विजिटर्स।
5 लाख एनजीओ।
3 लाख सुपरवाइज व मॉनिटरिंग।
13 लाख वाहन व किराया।
4 लाख अन्य खर्च।
ये ब्लॉक हैं संवेदनशील
टीबी रोग के लिहाज से जिले में रायगढ़, तमनार और सारंगढ़ ब्लॉक संवेदनशील हैं। इन तीन ब्लाकों से ही लगभग 800 मरीज मिले हैं। सारंगढ़ क्षेत्र में क्रशर चल रहे हैं। रायगढ़ में सड़कों से उड़ने वाली धूल और तमनार में उद्योगों से निकलने वाली धूल इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण है। शुरुआती दौर में मरीजों को सही उपचार नहीं मिलता या भी लगातार ऐसे प्रदूषित इलाके में रहने से बीमारी बढ़ जाती है।
अभियान चला रहे हैं
जिले में टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में मरीजों की संख्या भी कम हुई है। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि टीबी से मरीजों की मौत ना हो। डॉ टीके टोंडर, प्रभारी सीएमएचओ