बदलते समय में दुनिया ने इतनी तरक्की कर ली है की आँखों पर पर विश्वास कर पाना भी नामुमकिन सा लगता है। विज्ञान (Science) ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब लोग यह भी मानने लगे हैं कि वह दिन दूर नहीं कि इंसान खुद कृत्रिम रूप इंसान बनाने में सक्षम हो जाएगा और खुद ही वैज्ञानिक तरीके से बच्चों का निर्माण भी करने लगेगा। जहां वैज्ञानिक इसे अब भी दूर की कौड़ी मानते हैं। वे एक नया मुकाम हासिल करने में कामयाब हुए हैं। जिन वैज्ञानिकों ने दुनिया के पहले जीवित रोबोट (Living Robots) बनाए हैं, उनका दावा है कि अब वे जैविक प्रजनन (Reproduction) भी कर सकेंगे यानि अपने बच्चे भी पैदा कर सकेंगे। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि वे ऐसा पौधों या जानवरों की तरह नहीं करेंगे।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अफ्रीकी जेनोपस लैविस नाम के मेंढक की स्टेम सेल के जिरिए एक रोबोट बनाया था जिसे उन्होंने जेनोबोट्स नाम दिया था। वे केवल एक मिलीमीटर से भी छोटे हैं इन्हें पिछले साल प्रदर्शित किया गया था। उस समय प्रयोगो में वे चल सकते थे, एक साथ समूहों में काम कर सकते थे और खुद का उपचार करने में भी सक्षम थे। 
अब वरमोंट यूनिवर्सीटी टफ्ट्स यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकली इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने जैविक प्रजजनन का नया ही रूप खोज निकाला है जो विज्ञान के लिए ज्ञात किसी भी पौधे या जानवर के प्रजनन से अलग है।
इस नए अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक और टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर और एलन डिसकवरी सेंटर के निदेशक माइकल लेविन ने बताया कि वे इससे पूरी तरह से चौंक गए थे। सीएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि मेढ़कों में अपना प्रजनन का तरीका होता है, लेकिन जब कोशिकाओं को भ्रूण के बाकी हिस्से से उन्मुक्त किया गया और उन्हें नए वातावरणको समझने का मौका दिया गया हैं, तो ऐसे चौंकाने वाले नतीजे मिले।
नए माहौल में उन गतिविधि का नया तरीका खोज सके बल्कि उन्होंने प्रजनन का नया तरीका तक निकाल लिया। स्टेम कोशिकाएं ऐसी सामान्य कोशिकाएं होती हैं जिनमें अलग ही प्रकार की कोशिकाएं विकसित करने की क्षमता होती है। जेनोबोट्स बनाने केलिए शोधकर्ताओं ने मेंढक के भ्रूण से जीवित स्टेम कोशिका निकाली और सेने के लिए छोड़ दिया। इसमें जीन्स के साथ कोई छोड़छाड़ नहीं की गई थी। इस तरह से वे अनुवांशिक रूप से मेंढक की अपरिवर्तित कोशिका से बने जीव हैं।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और वर्मोन्ट यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस प्रोफेसर और रोबोटिक्स विशेषज्ञ जोश बोंगार्ड बताते है कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि रोबोट धातु या सिरामिक के बने होते हैं। लेकिन रोबोट केवल इनसे ही नहीं बने होते हैं। वे किससे बने होते हैं ये इस पर निर्भर होता है कि वे क्या क्या कर सकते हैं। इस लिहाज से तो ये रोबोट हैं।
जेनोबोट्स शुरुआत में गोलाकर थे और वे करीब तीन हजार कोशिकाओं से बनते थे। बोंगार्ड का कहना है कि उनकी टीम ने पाया कि जेनोबोट्स खुद की प्रतिकृति बना सकते हैं। लेकिन ऐसा पहले केवल कभी कभी ही और विशेष परिस्थितियों में ही हो पाता था। जेनोबोट काइनेटिक रेप्लिकेशन प्रक्रिया का उपयोग करते हैं जो आणविक स्तर पर होती है, लेकिन कभी पूरी कोशिका या जीवों के स्तर पर नहीं देखी गई।