मुजफ्फरपुर। शहर के सदर अस्पताल में संचालित मातृ-शिशु सेवा की सीएस डॉ.विनय कुमार शर्मा ने समीक्षा की। इस दौरान यह तस्वीर सामने आई कि मरीज अपने मन से ही यहां से चला जाता है, इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए हिदायत दी कि इसमें कोई बहाना नहीं नहीं चलेगा।
प्रसव के लिए अगर कोई महिला आती है तो सबसे पहले उसको भर्ती किया जाए। उसकी पूरी बीएसटी भरने के बाद इलाज शुरू हो। इलाज के दौरान प्रसव कराने की पूरी कोशिश हो।
महिला चिकित्सकों को सीएस ने स्पष्ट कहा कि यहां पर जितने बेड हैं उतने मरीज रहने चाहिए। सरकार ने इतनी आधुनिक सुविधा दी। आधुनिक मशीन व वार्ड के बाद भी बेड खाली-खाली यह कहीं से उचित नहीं है।
सिजेरियन व बंध्याकरण नियमित व सुबह से शाम तक होना चाहिए। एक सप्ताह बाद समीक्षा होगी कि यहां पर कितने मरीज आए, कितने का प्रसव हुआ, कितने को रेफर किया गया। यदि रेफर करने का कारण तर्कपूर्ण नहीं तो उस चिकित्सक व एएनएम के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होगी।
कई एएनएम ने कोरोना की चर्चा की। सीएस ने कहा कि प्रसव वाली महिला का प्रसव पहले कराया जाए। कोरोना जांच इलाज के लिए जरूरी नहीं। अगर कोरोना की आशंका है तो पीपी किट पहनकर डिलीवरी कराई जाए।
सरकार की ओर से बचाव की सुविधा उपलब्ध है तब भी किसी तरह की कोताही सही नहीं है। समीक्षा के समय उपाधीक्षक डा.एन के चौधरी समेत सभी स्त्री व प्रसव रोग विशेषज्ञ व एएनएम शामिल रहे।

