मुजफ्फरपुर। बिहार में सांसद निधि खर्च करने में कुछ एमपी अव्वल तो कुछ फिसड्डी साबित हुए है। यदि मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोगाम इम्लीमेंटेशन के वर्ष 2019-20 के लेखा-जोखा नजर डालें तो मुजफ्फरपुर के एमपी अजय निषाद सांसद निधि को खर्च करने में पहले पायदान पर है।
उन्होंने जनता की मांग के अनुरूप अपनी योजना की राशि खर्च की है। वहीं उत्तर बिहार की बात करें तो इस सूची में सुपौल का ग्राफ सबसे पीछे है। मालूम हो कि दो वित्तिय वर्ष से सांसदों को सांसद निधि की राशि नहीं मिली है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में मिले राशि खर्च करने में उतर बिहार के कई सांसद की रूचि नहीं दिख रही है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार हर वित्तीय वर्ष सांसदों को सांसद निधि जन उपयोगी काम कराने के लिए देती है। सांसद अजय निषाद ने सर्वाधिक और सुपौल सांसद सबसे कम राशि सांसद निधि योजना में खर्च की है।
जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार ने सांसदों के निधि फंड में सात, पांच और ढ़ाई करोड़ रुपये आवंटित किये। जिसका खर्च करने में उत्तर बिहार सहित सूबे के 95 फीसदी सांसद ने रूचि नहीं ली। उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर सांसद ने तकरीबन शत-प्रतिशत सांसद निधि कोष के रुपये को खर्च किया है।
उनके पास सिर्फ 0.01 करोड़ रुपये ही बचे है। वही, वैशाली सांसद वीणा देवी के पास 2.60 करोड़ और शिवहर सांसद रामा देवी के पास मिले पांच करोड़ राशि में 1.85 करोड़ की राशि खर्च करने को पड़ी हुई है। यहीं नहीं जो रिपोर्ट सामने आई है, सके अनुसार बिहार के 41 सांसदों में से कई सांसद केंद्र सरकार में मंत्री है।
उन्हें भी नियमानुसार केंद्र सरकार ने सांसद निधि में रुपये आवंटित किये। लेकिन, वे भी इसे खर्च करने में पीछे है। बक्सर के सांसद व केंद्र सरकार में मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने अपने निधि से अपने क्षेत्र में सिर्फ 1.75 करोड का ही अबतक काम करा सके है।
वहीं, उनके पास 3.25 करोड़ राशि शेष है। वहीं केंद्रीय मंत्री व पटना साहिब से सांसद रवि शंकर प्रसाद ने तो मिले राशि का इस्तेमाल ही नहीं किया है। आवंटित पूरी राशी शेष बची हुई है। इसके अलावा केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी अपने निधि से खर्च करने में कोताही बरती है। ये आवंटित पांच करोड़ में से सिर्फ 2.36 करोड़ राशि ही खर्च कर सके है। इसके अलावा मंत्री गिरिराज सिंह के पास 3.28 करोड़ रुपये शेष बचे हुए है।
