मधुबनी : मिथिलाधाम की प्रसिद्ध मध्यमा परिक्रमा यात्रा का शुक्रवार को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश हुआ। सीमा पर परिक्रमा यात्रा के पहुंचते ही पूरा इलाका जय सियाराम के जयघोष से गूंजने लगा। पारंपरिक मैथिली गीत गाती मैथलानियों ने प्रभु श्रीराम व माता जानकी के डोला का अभिनंदन किया।

आगे-आगे प्रभु श्रीराम का डोला और उसके पीछे माता जानकी का डोला चल रहा है। सीमा पार करते ही पगडंडियों व खेत-खलिहान से गुजरते हुए परिक्रमा यात्रा सीमा पर स्थित हरलाखी प्रखंड के हरिणे गांव स्थित काली मंदिर परिसर में पहुंची। वहां दिन का विश्राम हुआ। पहले प्रभु श्रीराम का डोला लेकर श्रद्धालु वहां पहुंचे।

करीब एक घंटे बाद पीछे से माता सीता का डोला भी वहां पहुंचा। काली मंदिर परिसर में डोला दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रभु श्रीराम का डोला लाल रंग एवं माता सीता का डोला पीला रंग धारण किए हुए है।

श्रद्धालुओं ने जय सियाराम के जयघोष के साथ दोनों डोला का अभिनंदन किया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम व माता जानकी को बाल भोग कराया और वस्त्र प्रदान किए।

परिक्रमा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को खिचड़ी एवं चुरा-दही भोजन कराया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मैथलानियों ने ‘जेहने किशोरी मोरी तेहने प्रभु श्रीराम हे, आ मिथिला दर्शन के लेल निकलला दुनु एके ठाम हे….’, ‘सांवर सांवर गोरे गोरे जोड़ियां जहान हे, अंखिया ने देखल, सुनल नहीं कान हे ………’ जैसे परंपरागत मैथिली गीतों से जनकनंदिनी मां सीता व मिथिलाबिहारी प्रभु श्रीराम की आराधना की।

हास्य-विनोद के माहौल में श्रद्धालुओं का भजन-कीर्तन भी चलता रहा। डोला के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते ही हर तरफ उल्लास का माहौल बन गया।

लोग घरों से निकल काली मंदिर परिसर पहुंचते रहे और डोला दर्शन कर खुद को धन्य मानते रहे। हरिणे से यात्रा निकलने के बाद पोतगाह गांव में कुछ देर विश्राम किया गया। वहां भी स्थानीय लोगों ने डोला व यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का उल्लास के साथ अभिनंदन किया।
