खुरमा, तिलकुट और सीतामढ़ी की बालूशाही; बिहार की इन मिठाइयों को GI टैग दिलाने की कोशिश

बिहार : कृषि उत्पादों के बाद अब राज्य की स्वादिष्ट मिठाइयों को भी ग्लोबल पहचान मिलेगी। भोजपुर के खुरमा, गया के प्रसिद्ध तिलकुट और सीतामढ़ी की बालूशाही को भी जीआई टैग दिलाने की पहल होगी। इसकी पहल नाबार्ड ने शुरू कर दी है। इसके पहले इन मिठाइयों की विशेषताओं और उनके स्रोत की जानकारी नाबार्ड लेगा। उसके बाद उत्पादकों से इसके लिए आवेदन करने को कहेगा।

नाबार्ड आवेदन से लेकर इन मिठाइयों को जीआई टैग दिलाने में भरपूर मदद करेगा। गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध है। विदेशों में रहने वाले बिहारियों के माध्यम से इसको ग्लोबल पहचान मिली है। इसी के साथ सीतामढ़ी की बालूशाही और भोजपुर जिले के उदवंतनगर का खुरमा भी काफी प्रसिद्ध है।

राज्य में इन मिठाइयों की पहचान ऐसी है कि जिन जिले से इनको प्रसिद्धि मिली है, राज्य में कहीं भी यह मिठाई बनती है तो उसी जिले के नाम से बिकती है। लेकिन जीआई टैग नहीं होने के कारण इनकी पहचान का प्रमाणीकरण नहीं हो पाया है। लिहाजा इनकी मांग होने के बावजूद विदेशों में नहीं बिक पाती हैं।

साथ ही कीमत भी उत्पादकों को नहीं मिल पाती है। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. सुनील कुमार ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड इन मिठाइयों को जीआई टैग दिलाने में मदद करेगा। इसका उद्देश्य है कि इसका लाभ उत्पादकों को मिले। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर जीआई टैग के लिए उत्पादकों से आवेदन कराया जागा।

आमदनी और उत्पादन बढ़ेगा

इन मिठाइयों को जीआई टैग मिलने के बाद विश्व में कोई कहीं मार्केटिंग करेगा तो वह बिहार के उन जिलों के नाम से जाना जाएगा। दूसरे किसी भी देश और राज्य का दावा इन उत्पादों पर नहीं हो सकेगा। इसी के साथ राज्य के इन उत्पादकों को नया बाजार मिल जाएगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।

उत्पादन भी बढ़ेगा। अगर इन मिठाइयों को जीआई टैग मिला तो मखाना को मिलाकर राज्य के कुल आठ उत्पादों को जीआई टैग मिल जाएगा। इसके पहले कतरनी चावल, जर्दालू आम, शाही लीची और मगही पान को जीआई टैग मिल चुका है।