पटना. बिहार की सियासत में अचानक से हलचल तेज हो गई है. सियासी गलियारे में जिस बात की आशंका ज़ाहिर की जा रही थी कि मकर संक्रांति के बाद बिहार के सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है. मकर संक्रांति के बाद उसकी तस्वीर भी दिखने लगी है जब रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के दिए एक बयान ने माहौल को गर्मा दिया जिसके बाद वो निशाने पर आ गए हैं. बीजेपी इस मामले पर हमलावर हो गई. लेकिन, अभी यह मामला गर्म ही था कि जदयू ने भी शिक्षा मंत्री पर इशारो में ही सही बड़ा हमला कर महागठबंधन में हलचल तेज कर दी है लेकिन इसी सब के बीच अररिया से बीजेपी सांसद ने एक बड़ा दावा कर सर्द मौसम में भी सियासी गर्मी का अहसास करा दिया है.
बीजेपी सांसद प्रदीप सिंह ने दावा किया है कि बिहार में भले ही महागठबंधन बन गया है. लेकिन, उसके बनने से जदयू के विधायक और एमपी खुश नहीं है. खासकर तब से और अधिक जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि 2025 में महागठबंधन की अगुवाई तेजस्वी यादव करेंगे. इस घोषणा के बाद से ही जदयू के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है और जदयू के कई विधायक बीजेपी के संपर्क में आ गए है. बीजेपी सांसद ने कहा कि बस थोड़ा से इंतज़ार कर लीजिए बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा खेल दिख जाएगा. यह बात सिर्फ़ मैं राजनीतिक बयानबाजी के तौर पर नहीं कर रहा हूं. बल्कि पूरे भरोसे के साथ बोल रहा हूं. लेकिन, इसका खुलासा अभी नहीं करूंगा, समय आने पर सब कुछ सामने आ जाएगा.
जाहिर है कि बीजेपी सांसद का बड़ा दावा है. हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है ये तो बाद में ही पता चलेगा. लेकिन, प्रदीप सिंह के दावे पर जदयू प्रवक्ता डॉ सुनील कहते हैं कि बीजेपी सांसद जो भी दावा कर ले लेकिन उन्हें भी पता है कि वो कितना सच बोल रहे हैं. आज तक जदयू का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं रहा है. जब उसमें कोई टूट हुई हो, जबकि दूसरी पार्टी के कई नेता जदयू में शामिल हो चुके है. इस बार भी जदयू विधायक पूरी तरह से एकजुट है. बीजेपी का मंसूबा कभी सफल नहीं हो पाएगा और ये बिहार है महाराष्ट्र नहीं.
बीजेपी सांसद के दावे को जदयू प्रवक्ता ख़ारिज कर रहे हैं. वहीं रामचरितमानस के बहाने जेडीयू और राजद के संबंध में खटास दिख रही है. लेकिन, इस तनाव को दूर करने में जदयू और राजद के शीर्ष नेतृत्व हरकत में आ चुका है. जल्द से जल्द इसे दूर करने की कोशिश में भी लग गया है. लेकिन इसमें जितनी देर होगी मामला गर्माता रहेगा और बीजेपी के तरफ़ से दावे भी होते रहेंगे. लेकिन, यह भी सच है कि 2015 के बाद से कोई भी गठबंधन बहुत ज़्यादा दिन तक टिक नहीं सका है. यह भी नहीं भुला जा सकता है ।