13 लाख वर्ष पुराना है बक्सर का रामेश्वरनाथ मंदिर, भगवान राम से जुड़ा है इतिहास,भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

बक्सर : रामरेखा घाट स्थित श्री रामेश्वरनाथ मंदिर धार्मिक धरोहरों में से एक है. यहां रामेश्वर नाथ महादेव के दर्शन और पूजन के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं. अति प्राचीनतम इस मंदिर की व्याख्या धार्मिक ग्रंथों में भी पढ़ने और सुनने को मिलता है. कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने इस मंदिर की स्थापना अपने हाथों से की थी. वहीं सावन मास और महाशिवरात्रि पर्व को लेकर रामेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है.

यह भी जाने- रामेश्वर नाथ मंदिर, रामरेखा घाट - Buxar Khabarरामेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी विक्की बाबा ने बताया कि गंगा के तट पर रामरेखा घाट किनारे स्थित श्री रामेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास लगभग 13 लाख वर्ष पूर्व का है. इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी. उन्होंने बताया कि महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ सफल बनाने के बाद रामरेखा घाट पहुंचकर प्रभु श्रीराम ने गंगा स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए गंगा की मिट्टी से शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी. जिसे आज रामेश्वरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नते मांगता है भगवान रामेश्वरनाथ उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते है.

जलाभिषेक को पहुंचते है श्रद्धालु
विक्की बाबा ने बताया कि 13 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में महर्षि विश्वामित्र व अन्य ऋषि मुनियों द्वारा यज्ञ करवाया जा रहा था तो राक्षस विघ्न उत्पन्न कर रहे थे. इतना ही नहीं विरोध करने पर ऋषियों को भी क्षति पहुंचाते थे. तब महर्षि विश्वामित्र अयोध्या गए और राजा दशरथ से यज्ञ को सफल बनाने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण को राजा से मांग कर लाए और भगवान ने तड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध कर यज्ञ को सफल बनवाया.

यज्ञ सफल होने के बाद भगवान रामरेखा घाट पहुंचे और गंगा स्नान कर एक रेखा खींची ताकि चारों दिशाओं सहित आकाश और पाताल के रास्ते भी यहां राक्षसों का प्रवेश नहीं हो सके. उसी रेखा के कारण इस जगह का नाम रामरेखा घाट पड़ा. इसी दौरान भगवान ने यहा शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी. वही मन्दिर में जलाभिषेक करने पहुंचे श्रद्धालु सौरभ चौबे तथा सोनू बाबा ने बताया कि रामेश्वरनाथ शिवलिंग से अपार आस्था है. लिहाजा, हर दिन यहां दर्शन करने आते है.