मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि मेंरिटायर शिक्षकों और कर्मचारियों को 1.33 करोड़ का वेतन भुगतान कर दिया गया है। ऑडिट रिपोर्ट में यह चौं’काने वाला मामला सामने आया है। ये शिक्षक पीजी विभागों के हैं। ऑडिट रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
ऑडिट रिपोर्ट में सामनेआया है कि विवि से रिटायर शिक्षकों और कर्मियों को नियमित की तरह एक करोड़ 32 लाख 85 हजार 980 रुपये का भुगतान किया गया है। इससे राज्य सरकार पर वि’त्तीय भार बढ़ गया।
इस खुलासे के बाद विवि में हड़कंप मच गया है। मामले में कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय ने बताया कि सभी अनियमितताओं पर नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
रिटायर शिक्षकों को वेतन भुगतान के अलावा बीआरएबीयू ने निजी एजेंसी से स्टांप पेपर की जगह सादे कागज पर इकरारनामा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण मद पूरा होने से पहले ही उस मद की पूरी राशि निकाल ली गई।
यही नहीं, राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के तहत मिले 10 करोड़ रुपये में भी गड़बड़ी बताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, बीआरएबीयू मेंवर्ष 2015 से 2021 तक अकाउंट की कोई फाइल न तो तैयार की गई, नहीं ही इन छह वर्षो में विवि ने खर्च हुई राशि का हिसाब राज्य सरकार को भेजा।
इसके अलावा ऑडिट टीम को विवि का बैलेंस शीट भी नहीं मिला है। टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि 22 मई 2018 को परीक्षा विभाग ने गोपनीय प्रिंटिग के लिए टेंडर निकाला।
इसमें छह एजेंसी के भाग लेने की बात बताई गई है। टेंडर जिस एजेंसी को गया उससे 18 जून 2018 से 17 जून 2019 तक का इकरारनामा किया गया। इस इकरारनामे की जांच में टीम को सिर्फ फाइनेंशियल बिड की फाइल दिखाई गई, टेक्निकल बिड की नहीं। ऑडिट टीम ने इस इकरारनामे पर सवाल उठाया है।
टीम का कहना है कि इस टेंडर में पारदर्शिता नहीं अपनाई गई है। इसके अलावा इस एजेंसी का अनुबंध चार बार बढ़ाया गया। इसके लिए विवि के वित्तीय सलाहकार से कोई अनुमति नहीं ली गई। बीआरएबीयू ने गोपनीय प्रिंटर को 154.25 लाख का अनियमित भुगतान किया।